Secondary Memory

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 Secondary / Auxiliary Memory (द्वितीयक / सहायक मेमोरी)

secondary memory को डाटा और informations को बड़ी मात्रा मे store करने के लिए किया जाता है। यह सामान्यतः कम्प्युटर सिस्टम के बाहर स्थित होता है। इसे स्थायी मेमोरी भी कहा जाता है। इसकी स्टोरेज क्षमता लगभग असीमित होती है। परंतु data transfer की गति धीमी होती है। इसका प्रयोग मुख्यतः backup data को स्टोर करने के लिए किया जाता है।

सहायक मेमोरी एक Non-Volatile Memory है यह Data व Software Storage का एक सस्ता व लोकप्रिय माध्यम है। इसकी स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है। परंतु डाटा को प्राप्त करने मे लगा समय अधिक होता है। Magnetic Tape, Magnetic Disk तथा Optical Disk सहायक मेमोरी के उदाहरण है।

सहायक मेमोरी दो प्रकार के होते है - 

1. Sequential Access Memory.

2. Direct Access Memory.


1. Sequential Access Memory :- यदि किसी मेमोरी के डाटा को क्रमानुसार एक के बाद एक कर ही पढ़ा जा सकता है, तो उसे Sequential Access Memory कहते है। 

मैग्नेटिक टेप Sequential Access Memory का उदाहरण है- 

A) Magnetic Tape :- यह Sequential Access Memory का उदाहरण है। इसमे एक प्लास्टिक रिबन पर चुंबकीय पदार्थ (Iron oxide and Chromium Dioxide)की परत चढ़ी रहती है। मैग्नेटिक टेप पर स्टोर किए गए डाटा को रिकॉर्ड कहा जाता है। दो अलग अलग डाटा मे अंतर करने के लिए उनके बीच मे कुछ खाली जगह छोड़ दिया जाता है, जिसे Inter record gap कहा जाता है। यह बड़ी मात्रा मे डाटा को स्टोर करने हेतु प्रयुक्त होता है। डाटा को कितनी भी बार लिखा, पढ़ा, तथा मिटाया जा सकता है। नया डाटा लिखने पर पुराना डाटा स्वतः ही मिट जाता है। मैग्नेटिक टेप डाटा स्टोर करने का एक सस्ता माध्यम है। अतः इसका प्रयोग विशाल data backup लेने के लिए किया जाता है। Data Backup मे उपलब्ध डाटा की एक कॉपी बनाकर सुरक्षित रखा जाता है ताकि किसी कारण मुख्य डाटा के नष्ट होने पर backup data का उपयोग किया जा सके। मैग्नेटिक टेप को पढ़ने के लिए magnetic tape drive का प्रयोग किया जाता है।

Magnetic Tape

2. Direct Access Memory :- इसमे वांछित सूचना या डाटा को सीधे पढ़ा जा सकता है। इस कारण डाटा को पढ़ने में समय कम लगता है। Direct Access Memory से डाटा पढ़ने मे लगा समय disk पर डाटा की स्थिति तथा वर्तमान समय मे Read-Write Head की स्थिति पर निर्भर करता है। Read-Write Head के डाटा लोकेशन तक पहुँचने मे लगा समय अलग अलग हो सकता है पर यह समय इतना कम होता है की किसी भी डाटा को पढ़ने मे लगने वाले समय को लगभग समान माना जा सकता है।

Direct Access Memory के उदाहरण :- 

A) Magnetic Disk :- यह एक Non-Volatile Direct Access Memory है। इसमे धातु या प्लास्टिक से बने पतले डिस्क पर चुंबकीय पदार्थ जैसे- आयरन ऑक्साइड की परत चढ़ा दी जाती है। मैग्नेटिक डिस्क पर डाटा रिकॉर्ड (Write) तथा Read करने के लिए Read-Write Head होता है। जो डिस्क के magnetic pattern मे बदलाव कर डिजिटल डाटा स्टोर करता है। इसका एक्सैस टाइम भी कम होता है परंतु धूल या खरोंच के कारण इसके खराब होने की संभावना भी रहती है।

Magnetic Disk के उदाहरण :-

1. Floppy Disk

2. Harddisk


1) Floppy Disk :- यह प्लास्टिक का बना एक वृत्ताकार डिस्क होता है। जिस पर चुंबकीय पदार्थ की लेप चढ़ी रहती है। सुरक्षा के लिए इसे प्लास्टिक के वर्गाकार बॉक्स मे बंद रखा जाता है। इसके बीच मे धातु की बनी गोल धुरी होती है। इसके ऊपरी भाग मे लिखने-पढ़ने का खुला स्थान होता है। जिसे खिसकने वाले एक ढक्कन से ढाका जाता है। इसके निचले कोने पर एक सुरक्षा छिद्र होता है। जिसे बंद कर देने पर floppy मे डाटा परिवर्तन नहीं किया जा सकता। वर्तमान मे प्रयुक्त floppy की लंबाई 3.5 इंच होती है। उच्च क्षमता वाले फ्लॉपि की भंडारण क्षमता 1.44 होती है। जबकि अति उच्च क्षमता वाले floppy की भंडारण क्षमता 2.88mb होती है। Floppy कुछ वृत्ताकार पथो मे विभाजित रहता है। जिसे Track कहते है। Track पुनः sectors मे बंटा रहता है। Floppy पर डाटा इसी sector मे लिखा जाता है। प्रत्येक sector की स्टोरेज क्षमता 512 byte होती है। कम्प्युटर मे इसे पढ़ने के लिए Floppy disk drive का प्रयोग किया जाता है जिसे ड्राइव 'A' नाम दिया जाता है।

Floppy Disk

2) Harddisk :- Harddisk मैग्नेटिक डिस्क का एक प्रकार है। यह एक Non-Volatile Direct Access Memory है। इसकी भंडारण क्षमता अधिक तथा डाटा स्टोर और पढ़ने की गति तेज होती है। किसी कम्प्युटर का ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर तथा विभिन्न एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर harddisk मे ही स्टोर किए जाते है। Harddisk मे एल्यूमिनियम धातु का बना एक पतला डिस्क होता है। जिस पर चुंबकीय पदार्थ जैसे iron oxide का लेप चढ़ा रहता है। धातु से बने होने के कारण यह लचीला नहीं होता है। अतः इसे harddisk का नाम दिया जाता है। डिस्क के एक या दोनों सतहों को data store करने के लिए प्रयोग किया जाता है। डाटा को read/write करने के लिए प्रत्येक सतह पर read-write Head होता है। जिस डिस्क के दोनों सतहों पर डाटा स्टोर किया जाता है उसे Double Sided Disk कहा जाता है। Harddisk मे डाटा को Electronicmagnetic Field द्वारा लिखा और पढ़ा जा सकता है। Harddisk के Read Write Head का डिस्क की सतह से भौतिक संपर्क नहीं होता। परंतु डिस्क और head के बीच का गैप इतना कम (3 नैनोमीटर तक) होता है कि धूल का छोटा कण भी उसमें फंस सकता है जिससे डाटा को पढ़ना संभव नहीं होता। इसे Harddisk crash (क्रैश) करना कहा जाता है।  

Tracks of Magnetic Disks

        Magnetic Disk की सतह को अनेक संकेंद्रित वृत्तों मे बांटा जाता है, जिसे ट्रैक कहते है, इन tracks को पुनः sectors मे बाँटा जाता है। Sector डाटा स्टोर करने की सबसे छोटी इकाई है। एक sector की storage क्षमता 512 byte होती है। Harddisk की कुल स्टोरेज क्षमता GB मे होती है। 

Harddisk
Harddisk 3 प्रकार के होते है -
1. Zip Disk
2. Disk Pack
3. Winchester Disk

1. Zip Disk :-  Zip disk drive एक उच्च क्षमता वाली डाटा स्टोर करने वाली स्टोरेज डिवाइस है, इस स्टोरेज डिवाइस का निर्माण 'LOMEGA' कंपनी ने किया था। इसके अंदर floppy disk से भी ज्यादा डाटा भरा जा सकता था। Floppy disk मे केवल 1.44 mb डाटा भरा जा सकता था जबकि ज़िप डिस्क मे 100 mb तक डाटा स्टोर किया जा सकता था। इसका प्रयोग कम्प्युटर से डाटा को backup करने के लिए किया जाता था। 

Zip Disk

2. Disk Pack :- डिस्क पैक हार्ड डिस्क प्लेटर्स का एक स्तरित समूह है। डिस्क पैक हार्ड डिस्क ड्राइव का मुख्य घटक है। आधुनिक हार्ड डिस्क में, डिस्क पैक को ड्राइव के अंदर स्थायी रूप से सील कर दिया जाता है। कई शुरुआती हार्ड डिस्क में, डिस्क पैक एक हटाने योग्य इकाई थी, और एक सुरक्षात्मक कनस्तर के साथ आपूर्ति की जाती थी जिसमें एक उठाने वाला हैंडल होता है।

सुरक्षात्मक आवरण मे दो भाग होते है,एक प्लास्टिक का कवर, जिसमें केंद्र मे एक हैंडल होता है। जो डिस्क के शीर्ष और किनारो को संलग्न करता है और एक तल जो सीलबंद पैकेज को पूरा करता है। डिस्क पैक को हटाने के लिए ड्राइव को लाइन से हटा दिया जाता था और नीचे स्पिन करने की अनुमति दी जाती थी । इसके प्रवेश द्वार को खोला जा सकता था और डिस्क प्लेटर को ड्राइव से अनलॉक और इसे कवर मे सुरक्षित करने के लिए एक खाली कवर डाला और घुमाया जा सकता है फिर असेंबली को हटा दिया जाएगा और नीचे का कवर संलग्न कर दिया जाएगा। फिर नीचे के कवर को हटाकर और डिस्क पैक को उसके कवर के साथ ड्राइव मे रखकर एक अलग डिस्क पैक मे डाला जा सकता है। हैंडल को घुमाने से डिस्क पैक अपनी जगह पर लॉक हो जाता था और shell को हटाने के लिए मुक्त कर देता था ।

Disk Pack
3. Winchester Disk :- Harddisk को diskpack के आधार पर Zip disk, Disk pack तथा winchester disk मे बाँटा जाता है। विंचेस्टर डिस्क मे दो या अधिक harddisk plater को एक केन्द्रीय शाफ्ट के सहारे एक के ऊपर एक स्थापित किया जाता है। इस diskpack को उसके axis पर घुमाने के लिए एक मोटर लगा रहता है। harddisk के प्रत्येक सतह के लिए एक अलग read-write Head होता है। Read-Write Head आगे पीछे होकर प्रत्येक track तक जा सकता है। जबकि डिस्क को गोल घुमाकर किसी track के वांछित sector को read write head के नीचे लाया जा सकता है। इस diskpack को डिस्क ड्राइव के साथ सील कर दिया जाता है।
Winchester Disk को सीलबंद डिब्बे मे पैक कर देने के कारण :-
1. disk को धूल, खरोंच,या नमी से खराब होने की संभावना नहीं रहती।
2. इसके सबसे ऊपरी तथा सबसे निचली सतह को भी डाटा स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
3. pack हो जाने के कारण स्टोरेज डिस्क की क्षमता सीमित हो जाती है।
4. Drive या read write head खराब होने पर डाटा पुनः प्राप्त करना संभव नहीं होता। अतः विंचेस्टर डिस्क के साथ data backup रखने का सुझाव दिया जाता है।

वर्तमान मे पर्सनल कम्प्युटर के साथ प्रयुक्त harddisk विंचेस्टर डिस्क का उदाहरण है। कम्प्युटर मे लगे हार्डडिस्क को 'C Drive' का नाम दिया जाता है। इसमे आवश्यक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम तथा डाटा स्टोर किया जाता है।
B) Optical Disk :- Optical Disk पॉली कार्बोनेट प्लास्टिक से बना गोल डिस्क है जिसकी एक सतह को परावर्तित करने के लिए एल्यूमिनियम की पतली परत चढ़ा कर चमकदार बनाया जाता है। ऑप्टिकल डिस्क पर डाटा लिखने या पढ़ने के लिए लेजर बीम का प्रयोग होता है। अतः इसे लेजर डिस्क (Laser Disk) भी कहते है।
ऑप्टिकल डिस्क मे ट्रैक संकेन्द्रित वृत्तों मे न होकर बाहर से अंदर की ओर एक सर्पिलाकार (Spiral) आकार मे होता है। इस ट्रैक्स को समान आकार वाले सैक्टर मे विभाजित किया जाता है। सर्पीलाकार ट्रैक के कारण ऑप्टिकल डिस्क का एक्सैस टाइम मैग्नेटिक डिस्क से अधिक होता है। अर्थात डाटा को पढ़ने मे अधिक समय लगता है। परंतु यह डाटा की बड़ी मात्रा को क्रमानुसार पढ़ने या लिखने के लिए उपयुक्त होता है। इसी कारण ऑप्टिकल डिस्क आडिओ, विडियो, मल्टिमीडिया एप्लिकेशन तथा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को स्टोर करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
ऑप्टिकल डिस्क मे डाटा को पिट्स (Pits) और लैण्ड्स (Lands) मे स्टोर किया जाता है। डिस्क पर डाटा लिखने के लिए उच्च क्षमता वाले लेजर बीम का प्रयोग किया जाता है। जिससे डिस्क की सतह पर अति सूक्ष्म गड्ढे बन जाते है जिन्हे पिट्स कहा जाता है। गड्ढो के बीच स्थित समतल क्षेत्र को लैण्ड्स कहा जाता है। Pits बाइनरी डिजिट 0 या off को निरूपित करते है तथा Lands बाइनरी डिजिट 1 या on को निरूपित करते है। डिस्क पर कम तीव्रता वाले लेजर बीम डालकर परावर्तित किरणों के आधार पर डाटा को पढ़ा जाता है। CD, DVD तथा BRD ऑप्टिकल डिस्क के उदाहरण है।
Tracks of Optical Disk

ऑप्टिकल डिस्क को ऑप्टिकल डिस्क ड्राइव मे डालकर लिखा या पढ़ा जा सकता है। Optical disk ड्राइव मे डिस्क को रखने के लिए Disk tray, डाटा को पढ़ने के लिए Semiconductor Laser beam, Photo Diode तथा Lens होता है। डिस्क को मोटर के जरिये अपनी धुरी पर घुमाया जाता है। ऑप्टिकल डिस्क मे लेजर बीम के प्रयोग के कारण इसका Read- Write Head डिस्क के भौतिक संपर्क मे नहीं रहता।
ऑप्टिकल डिस्क के प्रयोग के लाभ :-
1. कम लागत मे अधिक स्टोरेज क्षमता।
2. डाटा को लंबे समय (लगभग 30 वर्ष) तक स्टोर किया जा सकता है।
3. डाटा के परिवर्तित होने या मिटने की संभावना कम होती है।
4. Read Write Head का डिस्क से भौतिक संपर्क न रहने के कारण डिस्क के घिसने की संभावना कम रहती है।
5. डिस्क द्वारा डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना आसान होता है।
ऑप्टिकल डिस्क की कमियाँ :-
1. धूल, मिट्टी, अंगुली के छाप आदि से डिस्क के खराब होने की संभावना बनी रहती है।
2. सामान्य डिस्क को एक बार डाटा लिखे जाने के बाद उसमे परिवर्तन करने या दूसरा डाटा स्टोर करने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।
ऑप्टिकल डिस्क के प्रकार निम्न है-
a) CD-ROM (Compact Disk - Read Only Memory) - यह ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है। आजकल कम्प्युटर सॉफ्टवेयर, वृहद डाटा, आडिओ तथा विडियो फ़ाइल आदि स्टोर करने के लिए इसका भरपूर उपयोग किया जा रहा है। CD-ROM मे फैक्ट्री मे निर्माता द्वारा डाटा स्टोर कर दिया जाता है जिसे बाद मे बदला नहीं जा सकता है। CD-ROM से डाटा को पढ़ने के लिए Infrared Laser beam का प्रयोग होता है। प्रचलित CD-ROM का व्यास (Diameter) 120mm तथा मोटाई 1.2mm होता है। इसकी स्टोरेज क्षमता लगभग 700mb होती है जिसमे लगभग 80 मिनट का विडियो डाटा स्टोर किया जा सकता है। CD-ROM को CD Drive की सहायता से पढ़ा जाता है। जिस पर Read Head बना रहता है। डिस्क को गोल घुमाने के लिए मोटर का प्रयोग होता है। CD drive की गति को एक संख्या और 'X' से निरूपित करते है। जैसे - 1X, 8X, 52X, 72X आदि। यह डिस्क से डाटा ट्रान्सफर की गति को बढ़ाने के लिए डिस्क को अपनी धुरी पर तेज गति से घूमाना पड़ता है।
CD-ROM
b) CD-R (Compact Disk- Recordable) - यह सामान्य Compact Disk की तरह ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है जिसमे CD-R Drive की सहायता से कम्प्युटर द्वारा डाटा स्टोर किया जा सकता है। इसे WORM (Write Once Read Many) डिस्क कहा जाता है। जिस पर केवल एक बार लिखा जा सकता है जबकि बार-बार पढ़ा जा सकता है। एक बार लिखे जाने के बाद डाटा बदला नहीं जा सकता । लेकिन किसी CD-R के बाकी बचे सतहों पर डाटा को अलग-अलग समय मे रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसका प्रयोग संगीत व चलचित्र (Music & Video) CD तैयार करने तथा डाटा बैकअप रखने के लिए किया जाता है।
CD-R

c) CD-R/W (Compact Disk- Re Writable) - CD-R/W एक सामान्य CD की तरह दिखता है तथा ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है। इस तरह के डिस्क पर धातु की एक परत होती है। इसके रासायनिक गुणो मे परिवर्तन कर इस पर बार-बार डाटा लिखा और पढ़ा जा सकता है। इसके लिए CD-R/W Drive की जरूरत पड़ती है।
CD-R/W
d) DVD (Digital Versatile/Video Disk) - DVD ऑप्टिकल डिस्क का उदाहरण है। यह CD-ROM की तरह ही होता है, पर इसकी भंडारण क्षमता अधिक होती है। आरंभ मे इसका प्रयोग चलचित्रों (Movies) के लिए किया गया । ध्वनि के लिए इसमे Dolby Digital या DTS (Digital Theater System) का प्रयोग किया जाता है। DVD मे आडिओ तथा विडियो स्टोर करने के लिए MPEG (Moving Picture Expert Group) विडियो फॉरमेट का प्रयोग किया जाता है।
DVD
        इसमे डाटा के दो layer संग्रहीत किए जा सकते है। एकल layer डिस्क की क्षमता 4.7gb तथा दो layer डिस्क की क्षमता 8.5 gb होती है। DVD के दोनों सतहों को डाटा स्टोर करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। ऐसा करने पर DVD की स्टोरेज क्षमता दोगुनी हो जाती है। आजकल रिकॉर्ड करने योग्य DVD का प्रयोग किया जा रहा है। जिसे DVD-R कहा जाता है। DVD drive डाटा पढ़ने के लिए लाल रंग के लेजर बीम का प्रयोग करता है। आजकल HD-DVD (High Density/ Definition DVD) का भी प्रयोग किया जा रहा है। जिसकी स्टोरेज क्षमता सामान्य DVD से 3 से 4 गुना अधिक होती है।
e) BRD (Blu Ray Disc) - यह ऑप्टिकल डिस्क का एक प्रकार है जो उच्च स्टोरेज के कारण मल्टिमीडिया भंडारण मे लोकप्रिय हो रहा है। इसको पढ़ने व लिखने के लिए Blue Voilet Laser Rays का प्रयोग किया जाता है। इसकी भंडारण क्षमता 25gb (Single Layer) या 50gb (Double Layer) हो सकती है। धूल व खरोंच से इसके खराब होने का डर भी कम रहता है। Blu ray disc का आकार सामान्य CD या DVD की तरह ही रहता है।
C) Electronic Storage Device -
        1. Pendrive - इसे फ्लैश ड्राइव भी कहा जाता है। यह पेन के आकार का इलेक्ट्रोनिक मेमोरी है जिसे Plug and Play डिवाइस की तरह USB पोर्ट मे लगाकर डाटा संग्रहित, परिवर्तित या पढ़ा जा सकता है। वास्तव मे यह EEPROM का एक रूप है। यह स्थायी प्रकार का द्वितीयक मेमोरी का उदाहरण है। जिसे कम्प्युटर से हटा लेने पर भी डाटा बना रहता है।
USB Flash Drive का आकार इतना छोटा होता है की इसे आसानी से जेब मे रखकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है। इसी कारण इसे पेनड्राइव कहते है। इसमे पुराने डाटा को मिटा कर नया डाटा बार बार स्टोर किया जा सकता है यह एक इलेक्ट्रोनिक मेमोरी है अतः इसमे कोई गतिमान पुर्जा नहीं होता जिससे इसके घिसने या टूटने का खतरा नहीं रहता तथा यह झटके (Mechanical Shock) से भी सुरक्षित रहता है। मैग्नेटिक डिस्क की तरह पेनड्राइव पर चुंबकीय क्षेत्र का कोई प्रभाव नही होता है। इसे धूल और खरोंच से खराब होने का कोई खतरा भी नहीं होता। इसे USB Port मे आसानी से जोड़ा और अलग किया जा सकता है।
Pendrive
पेनड्राइव की स्टोरेज क्षमता GB तक हो सकती है। इसके डाटा ट्रान्सफर की गति भी तेज होती है तथा डाटा 10 वर्षो तक सुरक्षित रह सकता है। आजकल पेनड्राइव का उपयोग डाटा और सॉफ्टवेयर स्टोर करने, बैकअप बनाने तथा डिजिटल फ़ाइल स्थानांतरण के लिए किया जा रहा है। पेन ड्राइव मे लगे USB connector की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक कवर लगा होता है। पेनड्राइव को किसी बाहरी ऊर्जा (External Power Supply) तथा किसी विशेष ड्राइव या सॉफ्टवेयर की आवश्यकता नहीं होती। कम्प्युटर इसे स्वयं एक External storage device के रूप मे पढ़कर जरूरी सॉफ्टवेयर install कर लेता है। कुछ पेनड्राइव मे Read Write indicator LED तथा गलती से डाटा मिटने से बचाने के लिए write protector tab भी लगा होता है।
2. Memory Card - यह छोटे आकार का पतला कार्ड है जिसका प्रयोग कम्प्युटर के अलावा अन्य आधुनिक उपकरणों जैसे - Mobile Phone, Digital Camera, PDA, Palmtop, Smartphone आदि मे किया जा रहा है। इसे मल्टिमीडिया कार्ड भी कहा जाता है। इसका उपयोग Removable storage device के रूप मे प्रचलित हो रहा है।
Memory Card

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