Primary / Main Memory (प्राथमिक मेमोरी)
यह मेमोरी यूनिट जो सीधे CPU से संपर्क रखता है तथा हर कम्प्युटर से जुड़ा रहता है, प्राथमिक या मुख्य मेमोरी कहलाता है। Primary Memory अनेक छोटे भागों मे विभाजित रहती है जिन्हे Location या Cell कहते है। प्रत्येक Location मे एक निश्चित बिट जिसे word length कहते है, स्टोर की जा सकती है। कम्प्युटर मे word length 8, 16, 32, 64 बिट की हो सकती है। Primary Memory की गति तीव्र होती है पर इसकी स्टोरेज क्षमता सीमित और कीमत अधिक होती है। प्राथमिक मेमोरी सामान्यतः अस्थायी मेमोरी है। Register, Cache Memory, RAM, ROM प्राथमिक मेमोरी के उदाहरण है। Location मे data store करने को लिखना (Write) तथा Location से Data प्राप्त करने को पढ़ना (Read) कहते है। Primary Memory मुख्यतः electronic या semiconductor memory होती है। इनमे integrated circuit का प्रयोग किया जाता है, जो सिलिकॉन चिप के बने होते है। इसके विकास का श्रेय जे. एस. किल्बी को जाता है। सिलिकॉन चिप मुख्यतः गैलियम आर्सेनाइड के बने होते है।
Primary Memory को तीन भागो मे वर्गीकृत किया जाता है-
A) Volatile Memory (अस्थायी मेमोरी) :- वह मेमोरी यूनिट जिसमे विद्द्युत सप्लाइ बंद होने पर संग्रहित डाटा नष्ट हो जाता है। Volatile Memory कहलाता है।
Volatile Memory के प्रकार निम्न है-
1. Dynamic Random Access memory (DRAM) :- इसे संक्षिप्त मे DRAM भी कहते है। RAM मे सबसे अधिक साधारण DRAM है तथा इसे जल्दी-जल्दी refresh करने की आवश्यकता पड़ती है। Refresh का अर्थ यहाँ चिप को विद्द्युत आवेशित करना होता है। यह एक सेकंड मे लगभग हजारों बार रिफ्रेश होता है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने के उपरांत यह पहले की विषय-वस्तु को मिटा देता है। इसके जल्दी रिफ्रेश होने के लक्षण के कारण यह RAM दूसरे RAM की अपेक्षा मंद गति का है।
2. Synchronous DRAM :- इस प्रकार का चिप सामान्य DRAM की अपेक्षा ज्यादा तेज है। इसकी तेज गति का कारण यह है कि यह CPU कि क्लॉक स्पीड के अनुसार चलता है। अतः इस कारण दूसरे DRAM की अपेक्षा डाटा को तेजी से स्थानांतरित कराता है।
3. Static RAM :- Static RAM कम रिफ्रेश होता है। फलस्वरूप यह DRAM की अपेक्षा अधिक तेज और महंगा होता है। इनका प्रयोग विशिष्ट उद्देशीय कम्प्युटरों के लिए किया जाता है।
B) Cache Memory:- Memory से data प्राप्त करने की गति CPU के data processing speed से काफी कम होती है। Memory और Processor के बीच की speed mismatch को दूर करने के लिए cache memory का प्रयोग किया जाता है। यह प्राथमिक मेमोरी और CPU के बीच एक अत्यंत तीव्र मेमोरी है। जहाँ बार-बार प्रयोग मे आने वाले डाटा को और निर्देशों को संग्रहित किया जाता है। Cache Memory की तीव्र गति होने के कारण प्रॉसेसर की गति मे वृद्धि होती है।
Cache memory सीपीयू से सीधे जुड़ा होता है। cache memory से CPU तक सूचना लाने ले जाने के लिए सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा तेज गति से स्थानांतरित होती है। Cache memory सीपीयू तथा मुख्य मेमोरी के बीच buffer का कार्य करता है। सामान्यतः कम्प्युटर मे प्रयुक्त cache memory का आकार 256 kb से 4 mb तक हो सकता है।
C) Non-Volatile Memory(स्थायी मेमोरी) :- वह मेमोरी यूनिट जिसमें विद्द्युत सप्लाइ बंद हो जाने पर भी डाटा बना रहता है। स्थायी मेमोरी कहलाता है।Non-Volatile memory के प्रकार निम्न है-
1. Read Only Memory (ROM) :- यह एक स्थायी इलेक्ट्रोनिक मेमोरी है जिसमें संग्रहित डाटा व सूचनाएँ स्वयं नष्ट नहीं होती है तथा उन्हें बदला भी नहीं जा सकता है। ROM मे सूचनाएँ निर्माण के समय ही भर दी जाती है तथा कम्प्युटर इन्हें केवल पढ़ सकता है। इनमे परिवर्तन नहीं कर सकता। कम्प्युटर की विद्द्युत सप्लाइ बंद कर देने पर भी ROM मे सूचनाएँ बनी रहती है।
ROM का निर्माण Semiconductor devices से किया जाता है। अतः इसे Electronic या Semiconductor memory भी कहा जाता है। ROM का प्रयोग स्थायी प्रकृति के प्रोग्राम तथा डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है। ROM मे कम्प्युटर को start करने के लिए आवश्यक सूचना जैसे- Instruction Set तथा System boot program स्टोर किया जाता है। ROM मे BIOS होता है जो कम्प्युटर चालू करने पर POST (Power on Self Test) प्रोग्राम चलाता है।
2. Programmable Read Only Memory (PROM) :- यह एक विशेष प्रकार का ROM है, जिसमे एक विशेष प्रक्रिया द्वारा यूजर के अनुकूल डाटा का प्रोग्राम किया जाता है। PROM मे हजारों डायोड होते है। जिन्हें उच्च वोल्टेज से फ्यूज़ करके वांछित सूचना रिकॉर्ड की जाती है। एक बार प्रोग्राम कर दिये जाने पर यह एक सामान्य ROM की तरह व्यवहार करता है।
3. Erasable Program Read Only Memory (EPROM) :- इस प्रकार के ROM पर पराबैंगनी किरणों की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है। इसके लिए EPROM को सर्किट से निकालना पड़ता है। इसे Ultravoilet EPROM भी कहा जाता है।
4. Electrically Erasable Programmable Read Only Memory (EEPROM) :- इस तरह के ROM को सर्किट से निकाले बिना इस पर उच्च विद्द्युत विभव की सहायता से पुराने प्रोग्राम को हटाकर नया प्रोग्राम लिखा जा सकता है। इसका उपयोग मुख्यतः अनुसंधान मे किया जाता है।
वर्तमान मे सहायक मेमोरी के रूप मे EEPROM का उपयोग बढ़ रहा है। Pendrive इसका एक अच्छा उदाहरण है। इस प्रकार के इलेक्ट्रोनिक मेमोरी का प्रयोग अनेक आधुनिक युक्तियों जैसे- Digital camera, Laptop, Smartphone, Mobile Phone आदि मे किया जा रहा है। यह एक सस्ती युक्ति है तथा इसमे विषम परिस्थितियों मे भी डाटा को सुरक्षित रखने की क्षमता है।