Principles of computing

IT Computer Education
0

 कम्प्युटर की कार्य पद्धति 

(Principles of Computing)

किसी भी कम्प्युटर को कार्य करने के लिए दो चीजों की जरूरत होती है - 

1. Hardware

2. Software

Hardware - कम्प्युटर मशीन तथा कलपुर्जों को  हार्डवेयर कहते है। हार्डवेयर कम्प्युटर की भौतिक संरचना है। वस्तुतः वे सभी चीजे जिन्हे हम देख व छू सकते है हार्डवेयर का अंतर्गत आते है। जैसे - System Unit, Monitor, Printer, Keyboard, Mouse, Memory Device आदि।

Software - हार्डवेयर कोई भी कार्य स्वयं संपादित नहीं कर सकता किसी भी कार्य को संपादित करने के लिए हार्डवेयर को निर्देश दिया जाना आवश्यक है। यह कार्य सॉफ्टवेयर द्वारा किया जाता है।

कम्प्युटर की कार्य प्रणाली

(Working principle of computer)

कम्प्युटर की कार्य प्रणाली को आम तौर पर पाँच भागों मे बाँटा जाता है जो हर प्रकार के कम्प्युटर के लिए आवश्यक है-

(i) Input - कम्प्युटर मे डाटा तथा अनुदेशों (Data and Instructions) को डालने का कार्य इनपुट कहलाता है। इसे इनपुट यूनिट द्वारा सम्पन्न किया जाता है। 

(ii) Storage - डाटा तथा अनुदेशों को मेमोरी यूनिट मे स्टोर किया जाता है ताकि आवश्यकतानुसार उनका प्रयोग किया जा सके कम्प्युटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अन्तरिम तथा अंतिम परिणामों (Intermediate and Final results) को भी मेमोरी यूनिट मे स्टोर कर दिया जाता है।

(iii) Processing - इनपुट द्वारा प्राप्त डाटा पर अनुदेशों के अनुसार अंकगणितीय व तार्किक गणनाएँ (Arithmetic and Logical Operations)कर उसे सूचना मे बदला जाता है तथा वांछित कार्य सम्पन्न किए जाते है।

(iv) Output - कम्प्युटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त सूचना या परिणामों को उपयोगकर्ता के समक्ष प्रदर्शित करने का कार्य आउटपुट कहलाता है। इसे आउटपुट यूनिट द्वारा सम्पन्न किया जाता है।

(v) Control - विभिन्न प्रक्रियाओं मे प्रयुक्त उपकरणों, अनुदेशों और सूचनाओं को नियंत्रित करना और उनके बीच तालमेल स्थापित करना कंट्रोल कहलाता है।

कम्प्युटर के मुख्य भाग 

(Main components of computer)

कम्प्युटर की आंतरिक संरचना विभिन्न कम्प्युटरों की अलग अलग हो सकती है पर कार्य पद्धति के आधार पर इन्हे निम्नलिखित भागों मे बाँटा जा सकता है-

1. Input Unit

2. Storage Unit or Memory

3. System Unit

    a) Mother board

    b) Central Processing Unit (CPU)

    c) Primary or Main Memory

4. Output Unit


Input Device

डाटा, प्रोग्राम, अनुदेशों (Instructions) और निर्देशों (Commands) को कम्प्युटर मे डालने के लिए प्रयोग की जाने वाली विद्द्युत यांत्रिक (Electromechanical) युक्ति इनपुट डिवाइस कहलाता है। इनपुट यूनिट यूजर से डाटा और अनुदेश प्राप्त कर उसे डिजिटल रूप मे परिवर्तित करता है तथा प्रोसेसिंग के लिए प्रस्तुत करता है। चूँकि कम्प्युटर केवल बाइनरी संकेतों (0 और 1 या on और off) को समझ सकता है अतः सभी इनपुट डिवाइस इनपुट इंटरफ़ेस (Input interface) की सहायता से डाटा और अनुदेशों को बाइनरी संकेतों मे बदलते है।

इस तरह इनपुट डिवाइस के कार्य है- 

1. डाटा, अनुदेशों तथा प्रोग्राम को स्वीकार करना। 

2. उन्हे बाइनरी कोड मे बदलना। 

3. बदले हुए कोड को कम्प्युटर सिस्टम को देना।

इनपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण है- Keyboard, Mouse, Joystick, Lightpen, Scanner, Barcode reader, MICR, Punchcard Reader

भंडारण यूनिट या मेमोरी

Storage Unit of Memory

डाटा और अनुदेशों को प्रोसैस करने से पहले मेमोरी मे रखा जाता है। प्रोसैस द्वारा प्राप्त अन्तरिम तथा अंतिम परिणामों को भी मेमोरी मे रखा जाता है।

इस प्रकार मेमोरी सुरक्षित रखता है -

1. प्रोसैस के लिए दिये गए डाटा व अनुदेशों को

2. अन्तरिम (Intermediate results) को

3. अंतिम परिणामों (Final results) को

मेमोरी जो मुख्यतः दो भागों मे बाँटा जाता है- 

(i) Primary or Main Memory - यह कम्प्युटर सिस्टम यूनिट के अंदर स्थित इलेक्ट्रोनिक मेमोरी है। इसकी स्मृति क्षमता कम जबकि गति तीव्र होती है। इसमे अस्थायी निर्देशों और तात्कालिक परिणामों को संग्रहित किया जाता है। यह अस्थायी (Volatile) मेमोरी है जिसमे कम्प्युटर को ऑफ कर देने पर सूचना भी समाप्त हो जाती है । डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसैस करने से ठीक पहले प्राथमिक मेमोरी मे अस्थायी रूप से रखा जाता है। अन्तरिम परिणामों तथा प्राप्त आउटपुट को प्रदर्शित करने से पहले प्राथमिक मेमोरी मे स्टोर किया जाता है। सेमीकंडक्टर रजिस्टर (Register), कैश (Cache), रॉम (ROM) तथा रैम (RAM) प्राथमिक मेमोरी के उदाहरण है। इनमे रजिस्टर या कैश मेमोरी CPU या माइक्रोप्रॉसेसर के भीतर बने होते है, जबकि ROM तथा RAM मदरबोर्ड पर लगे होते है। CPU का सीधा संबंध कैश मेमोरी से ही होता है।

(ii) Secondary or Auxiliary Memory - डाटा, सॉफ्टवेयर तथा अंतिम परिणामो को स्थायी रूप से सहायक मेमोरी मे संग्रहित किया जाता है। कम्प्युटर प्रॉसेसर द्वारा डाटा प्रोसैस से पहले सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी मे लाया जाता है। सहायक मेमोरी मे कम खर्च मे विशाल डाटा स्टोर करने की क्षमता होती है। यह एक स्थायी (Non-volatile) मेमोरी है जिसमे कम्प्युटर को बंद कर देने या विद्द्युत उपलब्ध न होने पर भी डाटा नष्ट नहीं होता है। Magnetic disk, Optical disk, Harddisk आदि सहायक मेमोरी के उदाहरण है। 

Registers - यह CPU या माइक्रोप्रॉसेसर के साथ निर्मित अत्यंत तीव्र गति वाली प्राथमिक मेमोरी है। इसे CPU की कार्यकारी मेमोरी भी कहा जाता है। CPU रजिस्टर मे स्थित डाटा को ही प्रोसैस कर पाता है। अतः डाटा तथा अनुदेशों को प्रोसेसिंग से पहले रजिस्टर मे स्थानांतरित किया जाता है। रजिस्टर मेमोरी का Access time 1-2 नैनो सेकंड हो सकता है।

Cache Memory - कैश मेमोरी CPU से सीधे जुड़ा होता है, अतः कैश मेमोरी से CPU तक डाटा जाने के लिए कम्प्युटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा स्थानांतरण की गति तीव्र होती है। CPU वांछित सूचना के लिए सबसे पहले कैश मेमोरी की तलाश करता है। अगर वांछित सूचना कैश मेमोरी मे नहीं मिलती तो इसे RAM / ROM मे खोजा जाता है। कैश मेमोरी CPU तथा मुख्य मेमोरी के बीच buffer का काम करता है। कैश मेमोरी अत्यंत तीव्र मेमोरी है पर यह अधिक महंगा होता है। कैश मेमोरी का Access time 2-10 नैनो सेकंड तक हो सकता है।

RAM - RAM एक सेमीकंडक्टर मेमोरी चिप है जिसे मदरबोर्ड पर बने मेमोरी स्लॉट मे लगाया जाता है। यह एक अस्थायी (Volatile) प्राथमिक मेमोरी है इसमे डाटा का एक्सेस टाइम डाटा की भौतिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता। अतः इसकी गति तीव्र होती है। प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और अनुदेशों को सहायक से लाकर RAM मे स्टोर किया जाता है। CPU इन्हे RAM से प्राप्त करता है तथा डाटा प्रोसेसिंग करता है। किसी अन्तरिम या अंतिम परिणामों को स्थायी तौर पर RAM मे स्टोर किया जाता है।

ROM - ROM सेमीकंडक्टर मेमोरी चिप है जिसे कम्प्युटर मदरबोर्ड पर कम्प्युटर निर्माता कंपनी द्वारा स्थापित किया जाता है। ROM एक स्थायी (Non-Volatile) प्राथमिक मेमोरी है जिसमे संग्रहित डाटा न तो नष्ट होती है और न ही इसे बदला जा सकता है। ROM मे कम्प्युटर को स्टार्ट करने के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर स्टोर किया जाता है। 

CMOS Chip - कम्प्युटर मे कुछ सूचनाएँ तथा सेटिंग्स लगातार परिवर्तित होती रहती है पर कम्प्युटर को उन्हे अपडेट करते रहना होता है। यदि किसी पर्सनल कम्प्युटर को कुछ समय या कुछ दिन बाद ऑन किया जाये तो भी वह वर्तमान का सही समय और दिन बताता है। ऐसी सूचनाएँ CMOS chip मेमोरी मे स्टोर की जाती है। CMOS चिप मेमोरी कम्प्युटर मदरबोर्ड पर स्थापित एक सेमीकंडक्टर मेमोरी है इसके साथ बटन के आकार का एक बैटरी लगा रहता है जिसके कारण कम्प्युटर ऑफ रहने पर भी CMOS मेमोरी काम करते रहता है।

सिस्टम यूनिट

System Unit

किसी पर्सनल कम्प्युटर का सिस्टम यूनिट उसका मुख्य हार्डवेयर है सिस्टम यूनिट एक बॉक्स की तरह होता है। इनपुट और आउटपुट डिवाइस के अतिरिक्त कम्प्युटर के सभी हार्डवेयर सिस्टम यूनिट मे ही स्थित होते है। सिस्टम यूनिट मे मुख्यतः पावर सप्लाइ यूनिट, मदरबोर्ड, CPU या माइक्रोप्रोसेसर, मुख्य मेमोरी तथा कई पोर्ट होते है।

1. Motherboard - मदरबोर्ड किसी कम्प्युटर का मुख्य सर्किट बोर्ड है सम्पूर्ण कम्प्युटर मदरबोर्ड के इर्द गिर्द ही घूमता है। मदरबोर्ड पर CPU, ROM, RAM Memory आदि उपकरण लगे होते है। कम्प्युटर के अन्य उपकरण जैसे - Input unit, Output Unit, Harddisk Drive, Sound card, Video card आदि मदरबोर्ड से ही जुड़े रहते है भविष्य मे हार्डवेयर उपकरणों को जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर Expansion slots भी बने होते है।

2. Computer Bus - मदरबोर्ड पर बने सुचालक तारों का समूह जो कम्प्युटर डाटा तथा संकेतों को कम्प्युटर सिस्टम के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है कम्प्युटर बस कहलाता है। CPU तथा कम्प्युटर सिस्टम के अन्य हार्डवेयर और पेरीफेरल डिवाइस के बीच निर्देशों तथा सूचनाओ का आदान प्रदान बस के मार्ग से ही होता है।

Internal / System Bus - मदरबोर्ड पर लगे उपकरणो के बीच डाटा तथा संकेतो का आदान प्रदान इंटरनल या सिस्टम बस द्वारा किया जाता है। इसमे डाटा स्थानांतरण की गति तीव्र होती है। सिस्टम बस तीन भागों - Data bus, Address bus तथा Control bus मे बंटा होता है।

External / Expansion Bus - External या Expansion bus कम्प्युटर पेरिफेरल डिवाइस जैसे - Keyboard, Mouse, Monitor, Printer, Harddisk, CD Drive आदि को मदरबोर्ड से जोड़ता है। इसमे डाटा स्थानांतरण की गति अपेक्षाकृत धीमी होती है।

3. CPU or Microprocessor - CPU को कम्प्युटर का मस्तिष्क (Brain of Computer) भी कहा जाता है यह कम्प्युटर के सभी कार्यों को नियंत्रित, निर्देशित तथा समन्वित (Control, Supervise and Co-ordinate) करता है। डाटा को निर्देशानुसार प्रोसैस करने का कार्य भी CPU ही करता है। CPU वास्तव मे एक सघन IC Chip है जिसे माइक्रोप्रॉसेसर भी कहा जाता है किसी एक माइक्रो प्रॉसेसर मे करोड़ो इलेक्ट्रोनिक उपकरण बने होते है यह प्रॉसेसर कम्प्युटर के मदरबोर्ड पर लगाया जाता है। CPU stored program instructions के आधार पर काम करता है। प्रोसेसिंग से पहले डाटा व निर्देशों को CPU मे बने रजिस्टर मे अस्थायी तौर पर स्टोर किया जाता है CPU रजिस्टर मे स्थित निर्देशों के अनुसार ही डाटा प्रोसेसिंग के लिए अंकगणितीय तथा तार्किक क्रियाएँ (Mathematical and Logical Operations) करता है। डाटा प्रोसेसिंग के सभी कार्य CPU द्वारा ही सम्पन्न किए जाते है। 

CPU के मुख्य कार्य है - 

1. विभिन्न प्रक्रियाओ के क्रम निर्धारित करना। 

2. कम्प्युटर के विभिन्न उपकरणों को नियंत्रित व निर्देशित करना। 

3. कम्प्युटर हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना।

4. इनपुट डाटा को निर्देशानुसार प्रोसैस करना।

CPU को हार्डवेयर की दृष्टि से तीन मुख्य भागों मे बाँटा जा सकता है -

1. Control Unit

2. Arithmatic logic unit

3. Memory register

1. Control Unit - CPU का कंट्रोल यूनिट कम्प्युटर के सभी कार्यों पर नियंत्रण रखता है तथा सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच समन्वय स्थापित करता है कंट्रोल यूनिट मे CPU द्वारा सम्पन्न किए जा सकने वाले कार्यों की सूची होती है जिसे instruction set कहते है कंट्रोल यूनिट को कम्प्युटर नाड़ी तंत्र (Nerve system) कहा जाता है।
कंट्रोल यूनिट के मुख्य कार्य है - 
1. इनपुट और आउटपुट डिवाइस तथा अन्य हार्डवेयर को नियंत्रित करना। 
2. Arithmatic logic unit के कार्यों को नियंत्रित करना। 
3. मुख्य मेमोरी से डाटा लाना तथा उन्हे तात्कालिक रूप से स्टोर करना।
4. निर्देशों को पढ़ना और उन्हे कार्यान्वित करने के आदेश देना।
5. हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच समन्वय स्थापित करना।

2. Arithmatic Logic Unit - ALU सीपीयू का एक भाग है। डाटा प्रोसेसिंग का वास्तविक काम ALU द्वारा ही किया जाता है यह डाटा पर कंट्रोल यूनिट से प्राप्त निर्देशों के अनुसार सभी प्रकार की गणितीय और तार्किक क्रियाएँ करता है। ALU को पुनः दो भागो मे - AU (Arithmatic Unit) तथा LU (Logic Unit) मे बाँटा जाता है। AU डाटा पर अंकगणितीय गणनाएँ जैसे - जोड़, घटाव, गुणा, भाग आदि सम्पन्न करता है। दूसरी तरफ LU डाटा पर तार्किक कार्य (Logical Operations) जैसे - बड़ा है (Greater Than), छोटा है (Less Than), बराबर है (Equal to) आदि सम्पन्न करता है इस प्रकार ALU डाटा पर अंकगणितीय गणनाएँ तथा तुलना करने का कार्य करता है।

3. Memory register - Register सीपीयू के अंदर बने होते है तथा सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी कहलाते है। CPU रजिस्टर मे स्थित डाटा को ही प्रोसैस कर सकता है। CPU मे रजिस्टर की संख्या तथा आकार जितना अधिक होगा सीपीयू के प्रोसेसिंग की गति भी उतनी ही तीव्र होगी।
आउटपुट यूनिट
Output Unit
आउटपुट डिवाइस कम्प्युटर द्वारा प्रोसेसिंग के पश्चात प्राप्त अन्तरिम परिणामों को यूजर तक पहुँचाने के लिए प्रयुक्त एक युक्ति है यह कम्प्युटर को यूजर के साथ जोड़ता है। तथा प्रॉसेसर द्वारा प्राप्त परिणामों को यूजर के समझने के योग्य स्वरूप मे प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रॉसेसर से प्राप्त परिणाम बाइनरी संकेतों (0या 1) मे होते है। अतः इन्हे आउटपुट इंटरफ़ेस द्वारा सामान्य संकेतो मे परिवर्तित किया जाता है।
आउटपुट डिवाइस के कार्य - 
1. सीपीयू से परिणाम प्राप्त करना। 
2. प्राप्त परिणामों को मानव द्वारा समझे जा सकने वाले संकेतों मे बदलना।
3. परिणाम के परिवर्तित संकेतो को यूजर तक पहुंचाना। 
आउटपुट डिवाइस के कुछ उदाहरण है - Monitor, Printer, Plotter, Speaker, Projector, Card reader आदि। 
BIOS (Basic Input Output System)
BIOS एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है इसे मदरबोर्ड निर्माता कंपनी द्वारा स्थायी ROM मेमोरी चिप मे स्टोर कर कम्प्युटर मदरबोर्ड पर स्थापित कर दिया जाता है। जब कम्प्युटर को ऑन किया जाता है तो सबसे पहले BIOS सॉफ्टवेयर चलता है BIOS कम्प्युटर से जुड़े सॉफ्टवेयर की जांच करता है जिसे POST (Power on self test) कहा जाता है। BIOS से स्थित बूट स्ट्रैप लोडर (Boot strap loader) प्रोग्राम ऑपरेटिंग सिस्टम की जांच कर इसे मुख्य मेमोरी मे डालने का आदेश देता है। कम्प्युटर ऑन होते समय डिलीट बटन (DEL Key) दबाने पर BIOS Setup खुलता है जहाँ हम दिये गए विकल्पो के अनुसार BIOS मे परिवर्तन कर सकते है।
CPU की गति को प्रभावित करने वाले कारक
सीपीयू या माइक्रोप्रोसेसर की कार्य क्षमता को एक सेकंड मे संपादित किए जा सकने वाले अनुदेशों की संख्या के आधार पर मापा जाता है। चूंकि सीपीयू एक सेकंड मे लाखो अनुदेश संपादित करता है अतः इसकी गति को MIPS या BIPS मे मापा जाता है। 
सीपीयू की गति को प्रभावित करने वाले कारक है - 
1. System Clock - सीपीयू के डाटा प्रोसैस करने की गति कम्प्युटर के अंदर बने इलेक्ट्रोनिक घड़ी पर निर्भर करती है जिसे सिस्टम क्लॉक कहा जाता है। डाटा प्रोसेसिंग के कार्य को अनेक छोटे-छोटे व मूलभूत चरणो मे बाँटा जाता है एक चरण का कार्य समाप्त हो जाने के बाद दूसरा चरण आरंभ करने के लिए रजिस्टर क्लॉक पल्स का इंतज़ार करते है। क्लॉक पल्स सिस्टम क्लॉक द्वारा उत्पन्न किए जाते है स्पष्टतः सिस्टम क्लॉक जितनी जल्दी-जल्दी क्लॉक पल्स उत्पन्न करेगा सीपीयू के डाटा प्रोसैस की गति उतनी ही तीव्र होगी।सिस्टम क्लॉक की गति को एक सेकंड मे उत्पन्न क्लॉक पल्स की संख्या के आधार पर मापा जाता है एक सेकंड मे उत्पन्न पल्स की संख्या को हर्ट्ज (Hertz - Hz) कहते है सिस्टम क्लॉक की गति को समान्यतः मेगा हर्ट्ज (MHz) या गीगाहर्ट्ज (GHz) मे निरूपित किया जाता है। आजकल उपलब्ध कम्प्युटरों मे सिस्टम क्लॉक की गति 500 MHz से 4 GHz तक हो सकती है।
2. Memory register - Register सीपीयू के अंदर बने होते है तथा सीपीयू की कार्यकारी मेमोरी कहलाते है। CPU रजिस्टर मे स्थित डाटा को ही प्रोसैस कर सकता है। CPU मे रजिस्टर की संख्या तथा आकार जितना अधिक होगा सीपीयू के प्रोसेसिंग की गति भी उतनी ही तीव्र होगी।
3. Word Length - शब्द परास बाइनरी अंको की वह संख्या है जो कम्प्युटर एक बार मे प्रोसेसिंग के लिए लेता है। शब्द परास अधिक होने पर कम्प्युटर की गति बढ़ जाती है। शब्द परास की लंबाई 8,16,32 या 64 बिट तक हो सकती है। 64 बिट शब्द परास का अर्थ है की कम्प्युटर एक साथ 64 बिट डाटा प्रोसैस कर सकता है।
4. Cache Memory - कैश मेमोरी CPU से सीधे जुड़ा होता है, अतः कैश मेमोरी से CPU तक डाटा जाने के लिए कम्प्युटर मदरबोर्ड के सिस्टम बस का प्रयोग नहीं करना पड़ता। अतः डाटा स्थानांतरण की गति तीव्र होती है। CPU वांछित सूचना के लिए सबसे पहले कैश मेमोरी की तलाश करता है। अगर वांछित सूचना कैश मेमोरी मे नहीं मिलती तो इसे RAM / ROM मे खोजा जाता है। कैश मेमोरी CPU तथा मुख्य मेमोरी के बीच buffer का काम करता है। कैश मेमोरी अत्यंत तीव्र मेमोरी है पर यह अधिक महंगा होता है। कैश मेमोरी का Access time 2-10 नैनो सेकंड तक हो सकता है।
5. System Bus - कम्प्युटर मे बने सिस्टम बस की चौड़ाई 32 बिट है तो इसका अर्थ है की कम्प्युटर बस मे 32 तार है। तात्पर्य यह है की प्रॉसेसर एक साथ 32 बिट डाटा का आदान-प्रदान कर सकता है।
6. Parallel Operation - एक साथ कई निर्देशों के क्रियान्वयन से सीपीयू की क्षमता का बेहतर उपयोग होता है जिससे कम्प्युटर की गति बढ़ती है Dual core या multicore Processor मे एक साथ दो या अधिक प्रॉसेसर एक ही चिप पर बनाए जाते है। इसमे Parallel processing का प्रयोग होता है जिसके कारण सीपीयू की कार्य क्षमता मे वृद्धि होती है।
6. Integration between CPU and Peripherals - समान्यतः सीपीयू तीव्र गणना करता है अतः अन्य उपकरणो की गति धीमी होने से कम्प्युटर की गति प्रभावित होती है।
कम्प्युटर सिस्टम के कार्य क्षमता की माप 
Measuring the performance of a computer system
Throughput - प्रति इकाई समय मे कम्प्युटर द्वारा संपादित किए गए उपयोगी प्रोसेसिंग की संख्या throughput कहलाती है। अधिक throughput बेहतर कार्य क्षमता को इंगित करता है पर यह प्रोसैस किए गए कार्य पर भी निर्भर करता है। 
Response time - Multi tasking operating system मे कम्प्युटर अपना थोड़ा-थोड़ा समय सभी कार्यों के प्रोसेसिंग के लिए देता है कम्प्युटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिये जाने तथा सीपीयू द्वारा उस कार्य को संपादित करने के लिए पहली प्रतिक्रिया के बीच का समय Response time कहलाता है। बेहतर कार्य क्षमता के लिए Response time कम होना चाहिए।
Turn around time - कम्प्युटर को प्रोसेसिंग के लिए कार्य दिये जाने तथा कम्प्युटर द्वारा उसे पूरा कर अंतिम परिणाम देने के बीच का समय Turn around time कहलाता है । बेहतर कार्य क्षमता के लिए Turn around time कम होना चाहिए। 

Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)